A hundred times a day, I am a sacrifice to my Guru;
ਜਿਨਿ ਮਾਣਸ ਤੇ ਦੇਵਤੇ ਕੀਏ ਕਰਤ ਨ ਲਾਗੀ ਵਾਰ ॥੧॥
जिनि माणस ते देवते कीए करत न लागी वार ॥१॥
Jin māṇas ṯe ḏevṯe kī▫e karaṯ na lāgī vār. ||1||
He made angels out of men, without delay. ||1||
ਮਹਲਾ ੨ ॥
महला २ ॥
Mėhlā 2.
Second Mehl:
ਜੇ ਸਉ ਚੰਦਾ ਉਗਵਹਿ ਸੂਰਜ ਚੜਹਿ ਹਜਾਰ ॥
जे सउ चंदा उगवहि सूरज चड़हि हजार ॥
Je sa▫o cẖanḏā ugvahi sūraj cẖaṛėh hajār.
If a hundred moons were to rise, and a thousand suns appeared,
ਏਤੇ ਚਾਨਣ ਹੋਦਿਆਂ ਗੁਰ ਬਿਨੁ ਘੋਰ ਅੰਧਾਰ ॥੨॥
एते चानण होदिआं गुर बिनु घोर अंधार ॥२॥
Ėṯe cẖānaṇ hiḏi▫āʼn gur bin gẖor anḏẖār. ||2||
even with such light, there would still be pitch darkness without the Guru. ||2||
In the US, we are celebrating Thanksgiving today. It has been a tough year for many lives have been lost because of the pandemic. Yet there is so much to be thankful for. There are so many gifts to be cherished. Guru Nanak sings “O Master, as great as you are your gifts.” This is a list of shabads for spending a wakeful thanksgiving ... Happy Thanksgiving everyone. Be safe!
Detailed Explanation in Hindi by Prof. Sahib Singh
आसा महला १ ॥ आखा जीवा विसरै मरि जाउ ॥ आखणि अउखा साचा नाउ ॥ साचे नाम की लागै भूख ॥ तितु भूखै खाइ चलीअहि दूख ॥१॥
पद्अर्थ: आखा = मैं कहता हूँ, मैं उचारता हूँ। जीवा = जीऊँ, मैं जीता हूँ, मेरे अंदर आत्मिक जीवन पैदा होता है। तितु भूखै = इस भूख के कारण। खाइ = (नाम भोजन) खा के। चलीअहि = नाश किए जाते हैं।1।
अर्थ: ज्यों-ज्यों मैं प्रभु का नाम उचारता हूँ मेरे अंदर आत्मिक जीवन पैदा होता है। जब मुझे नाम भूल जाता है, मेरी आत्मिक मौत होने लग जाती है। (ये पता होते हुए भी प्रभु का) सदा स्थिर नाम स्मरणा (एक) मुश्किल काम है। (जिस मनुष्य के अंदर) प्रभु के सदा स्थिर नाम के नाम जपने की भूख पैदा होती है, इस भूख की इनायत से (नाम भोजन) खा के उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं।1।
पद्अर्थ: मेरी माइ = हे मेरी माँ! सचा = सदा कायम रहने वाला। साचै = सच्चे के द्वारा। नाइ = नाम के द्वारा, ज्यों ज्यों सदा स्थिर प्रभु का नाम स्मरण करें। किउ विसरै = कभी ना बिसरे।1। रहाउ।
अर्थ: हे मेरी माँ! (अरदास कर कि) वह प्रभु मुझे कभी ना भूले। ज्यों-ज्यों उस सदा स्थिर रहने वाले का नाम स्मरण करें, त्यों-त्यों वह सदा स्थिर रहने वाला मालिक (मन में बसता है)।1। रहाउ।
साचे नाम की तिलु वडिआई ॥ आखि थके कीमति नही पाई ॥ जे सभि मिलि कै आखण पाहि ॥ वडा न होवै घाटि न जाइ ॥२॥
अर्थ: सदा स्थिर रहने वाले परमात्मा के नाम की रत्ती जितनी भी महिमा (सारे जीव) बयान करके थक गए है (बयान नहीं कर सकते)। कोई भी बता नहीं सका कि उसके बराबर की कौन सी और हस्ती है। अगर (जगत के) सारे ही जीव मिल के (परमात्मा की महिमा) बयान करने का यत्न करें, तो वह परमात्मा (अपने असल से) बड़ा नहीं हो जाता (और अगर कोई उसकी महिमा का बखान ना करे) तो वह (पहले से) कम नहीं हो जाता।2।
ना ओहु मरै न होवै सोगु ॥ देंदा रहै न चूकै भोगु ॥ गुणु एहो होरु नाही कोइ ॥ ना को होआ ना को होइ ॥३॥
पद्अर्थ: गुणु एहो = यह ही (उसकी) खूबी है। होआ = हुआ है। ना होइ = नहीं होगा।3।
अर्थ: वह परमात्मा कभी मरता नहीं, ना ही (उसकी खातिर) सोग होता है। वह प्रभु सदा (जीवों को रिज़क) देता है। उसकी दी हुई दातों का वितरण कभी खत्म नहीं होता (भाव, जीव उस की दी हुई दातें सदैव बरतते हैं पर वे खत्म नहीं होतीं)। उस प्रभु की बड़ी खूबी ये है कि कोई और उस जैसा नहीं है, (उस जैसा अभी तक) ना कोई हुआ है ना ही कभी होगा।3।
पद्अर्थ: जेवडु = जितना बड़ा। तेवड = उतनी बड़ी। जिनि = जिस ने। कमजाति = बुरी अथवा नीच जाति वाली। सनाति = नीच।4।
अर्थ: (हे प्रभु!) जितना (बेअंत तू) खुद है, उतनी (बेअंत) तेरी बख्शिश है, (तू ऐसा है) जिसने दिन बनाया है और रात बनाई है।
हे नानक! वह लोग बुरी अस्लियत वाले (बन जाते) हैं जो पति-प्रभु को बिसारते हैं। नाम से वंचित हुए जीव नीच हैं।4।2।
Jee Ki Jot: No better time than Diwali to think about this: no one knows the light within unless the enlightener enables the soul. New Composition of Bhagat Sant Namdev in Raag Parbhati. This is a rare shabad hardly ever sung, also sung in a rare raag.
Lyrics in English - Jee Ki Jot
Parbẖāṯī.
Akul purakẖ ik cẖaliṯ upāiā.
Gẖat gẖat anṯar barahm lukāiā. ||1||
Jīa kī joṯ na jānai koī.
Ŧai mai kīā so mālūm hoī. ||1|| rahāo.
Jio pargāsiā mātī kumbẖeo.
Āp hī karṯā bīṯẖul ḏeo. ||2||
Jīa kā banḏẖan karam biāpai.
Jo kicẖẖ kīā so āpai āpai. ||3||
Paraṇvaṯ nāmḏeo ih jīo cẖiṯvai so lahai.
Amar hoe saḏ ākul rahai. ||4||3||
Translation in English by Mohan Singh:
Prabhaatee:
The Primal Being has no ancestry; He has staged this play.
God is hidden deep within each and every heart. ||1||
No one knows the Light of the soul.
Whatever I do, is known to You, Lord. ||1||Pause||
Just as the pitcher is made from clay,
everything is made from the Beloved Divine Creator Himself. ||2||
The mortal's actions hold the soul in the bondage of karma.
Whatever he does, he does on his own. ||3||
Prays Naam Dayv, whatever this soul wants, it obtains.
Whoever abides in the Lord, becomes immortal. ||4||3||
पद्अर्थ: कु = धरती। कुल = धरती से पैदा हुआ, खानदान, वंश। अकुल = (अ+कुल) जो धरती के ऊपर पैदा हुई (किसी भी) कुल में से नहीं है। पुरख = सब में व्यापक (संस्कृत: पुरि शेते इति पुरुष:)। चलित्रु = जगत रूप तमाशा। घटि घटि = हरेक घट में। अंतरि = हरेक के अंदर। ब्रहमु = आत्मा, जिंद।1।
अर्थ: जिस परमात्मा की कोई खास कुल नहीं है उस सर्व-व्यापक ने ये जगत-रूप एक खेल बना दी है। हरेक शरीर में, हरेक के अंदर उसने अपनी आत्मा गुप्त रख दी है।1।
जीअ की जोति न जानै कोई ॥ तै मै कीआ सु मालूमु होई ॥१॥ रहाउ॥
पद्अर्थ: जीअ की जोति = हरेक जीव के अंदर बसती ज्योति। कोई = कोई प्राणी। तै मै कीआ = हम जीवों ने जो कुछ किया, हम जीव जो कुछ करते हैं। मैं = तू और मैं, हम सारे जीव। होई = होता है।1। रहाउ।
अर्थ: सारे जीवों में बसती ज्योति को तो कोई प्राणी जानता नहीं है, पर हम सारे जीव जो कुछ करते हैं (हमारे अंदर) उस अंदर-बस-रही-ज्योति को मालूम हो जाता है।1। रहाउ।
जिउ प्रगासिआ माटी कु्मभेउ ॥ आप ही करता बीठुलु देउ ॥२॥
पद्अर्थ: जिउ = जैसे। कुंभेउ = कुंभ, घड़ा। करता = पैदा करने वाला। बीठुल देउ = माया से रहित प्रभु।2।
अर्थ: जैसे मिट्टी से घड़ा बन जाता है, (वैसे ही उस परम ज्योति से सारे जीव बनते हैं, पर) वह बीठलु प्रभु खुद ही सबको पैदा करने वाला है।2।
जीअ का बंधनु करमु बिआपै ॥ जो किछु कीआ सु आपै आपै ॥३॥
पद्अर्थ: करमु = किया हुआ कर्म। बंधनु = जंजाल। बिआपै = प्रभाव डाले रखता है। आपै = आप ही आप, प्रभु ने आप ही।3।
अर्थ: जीव का किया हुआ काम उसके लिए जंजाल बन जाता है, पर यह जंजाल आदि भी जो कुछ बनाया है प्रभु ने स्वयं ही बनाया है।3।
पद्अर्थ: चितवै = चितवता है, तमन्ना रखता है। लहै = हासिल कर लेता है। अमरु = (अ+मरु) मौत रहित। आकुल = सर्व व्यापक।4।
अर्थ: नामदेव विनती करता है, यह जीव जिस शै के ऊपर अपना मन टिकाता है उसको हासिल कर लेता है (माया-जाल की चितवनी करता है और माया-जाल में फंस जाता है, पर) अगर यह जीव सर्व-व्यापक परमात्मा को अपने मन में टिकाए तो (उस अमर प्रभु में टिक के स्वयं भी) अमर हो जाता है।4।
शब्द का भाव: सर्व-व्यापक परमात्मा ने जगत की यह खेल खुद ही रची है।
नोट: नामदेव जी का ‘बीठुल’ वह है जो ‘आप ही करता’ है जिस ने यह जगत-तमाशा बनाया है और जिसको सब जीवों के दिल के भेद मालूम हो जाते हैं। यह शब्द ‘बीठुल’ सतिगुरु जी ने भी अपनी वाणी में कई बार बरता है। अगर निरा यह शब्द बरतने से ही नामदेव जी को किसी बीठुल-मूर्ति का उपासक मान लेना है तो यह शब्द सतिगुरु जी ने भी उपयोग किया है।
I am releasing some recent recordings through the album "Moko Taar Le" this year as part of Bhagat Namdev's 750th birth centenary celebrations. Moko Taar Le is a shabad by Bhagat Namdev that I have been singing this since 2008. Lyrics, translation, the story of Dhruv, my notes on this shabad, as well as more information about the quotes in the video can be found on my blog: Notes on Moko Taar Le. You can stream and download Moko Taar Le here: Spotify, Apple Music, iTunes.
With the Support of Your Name, so many have been saved; this is Naam Dayv's understanding. ||2||3||
Punjabi Translation - Professor Sahib Singh
I had a different interpretation of the second paragraph, so I checked all the translations. I found Professor Sahib Singh's translation most agreeable:
हे मेरे राम! मुझे (संसार-सागर से) तार लो, मुझे बचाओ। हे मेरे प्रभु और पिता! मुझे अपनी बाँह से पकड़ लो, मैं तुम्हारा अज्ञानी सेवक हूँ, मुझे नहीं पता कि कैसे तैरना है।
(हे पिता! मैंने भी गुरु को पा लिया है) गुरु से प्राप्त ज्ञान के आशीर्वाद से, एक आंख की जगमगाहट में, मनुष्य देवता बन जाते हैं, हे पिता! कृपया, मुझे वह औषधि भी प्राप्त करनी चाहिए जिसके द्वारा स्वर्ग को मनुष्य से उत्पन्न किया जा सकता है (अर्थात, मानव जाति से) (मतलब, स्वर्ग की भी परवाह नहीं है)।
हे राम! ध्रुव और नारद (जैसे भक्तों) को दिया गया आध्यात्मिक निवास, जो मुझे हमेशा के लिए दे देता है, यह नामदेव का दृढ़ विश्वास है कि तेरा नाम का समर्थन ही अनंत प्राणियों (विश्व-सागर के विकारों से) को बचाता है। ।
भावार्थ: प्रभु से नाम सिमरन माँग । नाम के आशीर्वाद से स्वर्ग की लालसा भी नहीं रहती।
Origin of the word "Ardaas"
Ardaas comes from the Arabic Arzast. This "z" is one of the 4 z's in Arabic ... and this one is derived from "d" and therefore in Punjabi and Hindi we say "Ardaas" (just like Ramadaan and Ramzaan, Nadar and Nazar). In Farsi and urdu it is "Arz". The meaning is the same: petition, supplication, prayer, request.
Other Recordings
This composition is from 1996. It was done in my last year when I was a student at Berkeley and used to live in the Sikh Ashram, 2 blocks north of the campus. It was included in the the first album I released in 1997. A second studio version was recorded with bansuri, piano, sax (Jeremy Marais) and cello (Suellen Primost): https://youtu.be/AuboP0kQpMM
Where does the Shabad Come From?
The shabad comes from Guru Amardas and is part of a "vaar" ... a ballad, in Raag Gujri and can be found on Page 512. The sirlekh of the ballad can be found on GGS Page 508.
Goojaree Ki Vaar, Third Mehl, Sung In The Tune Of The Vaar Of Sikandar & Biraahim:
There must have been a popular tune that sang the praises of Sikandar and Ibrahim Lodi, the two rulers of the Lodi dynasty during the time of Guru Nanak. I have heard that Patiala university researchers under the direction of Dr. Gurnam Singh have done some research on this "tune."
Where does the quote in the beginning of the shabad come from?
This quote comes from the same vaar; it is a shloka written by Guru Amardas that is an introduction to the Pauri:
ਮਃ ੩ ॥
मः ३ ॥
Mėhlā 3.
Third Mehl:
ਮਿਠਾ ਸੋ ਜੋ ਭਾਵਦਾ ਸਜਣੁ ਸੋ ਜਿ ਰਾਸਿ ॥
मिठा सो जो भावदा सजणु सो जि रासि ॥
Miṯẖā so jo bẖāvḏā sajaṇ so jė rās.
That which is pleasing is sweet, and one who is sincere is a friend.
ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਜਾਣੀਐ ਜਾ ਕਉ ਆਪਿ ਕਰੇ ਪਰਗਾਸੁ ॥੨॥
नानक गुरमुखि जाणीऐ जा कउ आपि करे परगासु ॥२॥
Nānak gurmukẖ jāṇī▫ai jā ka▫o āp kare pargās. ||2||
O Nanak, he is known as a Gurmukh, whom the Lord Himself enlightens. ||2||
पद्अर्थ: जन = प्रभु का सेवक। हउ = मैं। पाई = पैरों में।21।
अर्थ: प्रभु के सेवक की अरदास प्रभु की हजूरी में (यूँ होती) है: (हे प्रभु!) तू सदा रहने वाला मालिक है, तू सदा ही रखवाला है, मैं तुझे स्मरण करता हूँ, सारे जीव-जंतु तेरे ही हैं, तू इनमें मौजूद है। जो मनुष्य तेरी बंदगी करने वाले की निंदा करता है तू उसको (आत्मिक मौत) मार के ख्वार करता है।हे नानक! तू भी प्रभु के चरणों में लग और (दुनियावी) चिंताएं त्याग के बेफिक्र रह।21।
Gurbani, Transliteration and Translation
ਪਉੜੀ ॥
पउड़ी ॥
Pa▫oṛī.
Pauree:
ਪ੍ਰਭ ਪਾਸਿ ਜਨ ਕੀ ਅਰਦਾਸਿ ਤੂ ਸਚਾ ਸਾਂਈ ॥
प्रभ पासि जन की अरदासि तू सचा सांई ॥
Parabẖ pās jan kī arḏās ṯū sacẖā sāʼn▫ī.
O God, Your humble servant offers his prayer to You; You are my True Master.
ਤੂ ਰਖਵਾਲਾ ਸਦਾ ਸਦਾ ਹਉ ਤੁਧੁ ਧਿਆਈ ॥
तू रखवाला सदा सदा हउ तुधु धिआई ॥
Ŧū rakẖvālā saḏā saḏā ha▫o ṯuḏẖ ḏẖi▫ā▫ī.
You are my Protector, forever and ever; I meditate on You.
ਜੀਅ ਜੰਤ ਸਭਿ ਤੇਰਿਆ ਤੂ ਰਹਿਆ ਸਮਾਈ ॥
जीअ जंत सभि तेरिआ तू रहिआ समाई ॥
Jī▫a janṯ sabẖ ṯeri▫ā ṯū rahi▫ā samā▫ī.
All the beings and creatures are Yours; You are pervading and permeating in them.
ਜੋ ਦਾਸ ਤੇਰੇ ਕੀ ਨਿੰਦਾ ਕਰੇ ਤਿਸੁ ਮਾਰਿ ਪਚਾਈ ॥
जो दास तेरे की निंदा करे तिसु मारि पचाई ॥
Jo ḏās ṯere kī ninḏā kare ṯis mār pacẖā▫ī.
One who slanders Your slave is crushed and destroyed.
ਚਿੰਤਾ ਛਡਿ ਅਚਿੰਤੁ ਰਹੁ ਨਾਨਕ ਲਗਿ ਪਾਈ ॥੨੧॥
चिंता छडि अचिंतु रहु नानक लगि पाई ॥२१॥
Cẖinṯā cẖẖad acẖinṯ rahu Nānak lag pā▫ī. ||21||
Falling at Your Feet, Nanak has renounced his cares, and has become care-free. ||21||
I have done several recordings of Jo Mange Thakur Apne Te over the years. This recording was done live in December 2019 with Ustad Ahsan Ali on the Sarangi. This was released last month as part of the Kirpa Dhaar project to release uplifting shabads during the pandemic. Sarangi and Voice were recorded in the studio in December; piano was later added in California. Like most of my productions, it took many months to mix. Much thanks also to Gaurav Dhingra and Aman Kakkar for their contributions on this project.
Who is Govind?
In the rahao line Guru Arjan says, "Har Jan Rakhe Guru Govind." I tend not to translate the "names" of God as the interpretations are not simple and every name to describe the One are inadequate. I tend to use the same name as Here is my understanding of what Guru ji means by Govind. Guru Arjan sings of the Govind whose power spreads in all four directions. He feels like Govind's hand is on his head. More: https://shivpreetsingh.blogspot.com/2020/08/jo-mange-sarangi-version.html
Lyrics/Transliteration/Alternative English Translation:
ਚਤੁਰ ਦਿਸਾ ਕੀਨੋ ਬਲੁ ਅਪਨਾ ਸਿਰ ਊਪਰਿ ਕਰੁ ਧਾਰਿਓ ॥ चतुर दिसा कीनो बलु अपना सिर ऊपरि करु धारिओ ॥ Cẖaṯur ḏisā kīno bal apnā sir ūpar kar ḏẖārio. He has extended His power in all four directions, and placed His hand upon my head.
ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਟਾਖ੍ਯ੍ਯ ਅਵਲੋਕਨੁ ਕੀਨੋ ਦਾਸ ਕਾ ਦੂਖੁ ਬਿਦਾਰਿਓ ॥੧॥ क्रिपा कटाख्य अवलोकनु कीनो दास का दूखु बिदारिओ ॥१॥ Kirpā katākẖy avlokan kīno ḏās kā ḏūkẖ biḏārio. ||1|| Gazing upon me with his Eye of Mercy, He has dispelled the pains of His slave. ||1||
ਹਰਿ ਜਨ ਰਾਖੇ ਗੁਰ ਗੋਵਿੰਦ ॥ हरि जन राखे गुर गोविंद ॥ Har jan rākẖe gur govinḏ. The Guru, the Lord of the Universe, has saved the Lord's humble servant.
ਕੰਠਿ ਲਾਇ ਅਵਗੁਣ ਸਭਿ ਮੇਟੇ ਦਇਆਲ ਪੁਰਖ ਬਖਸੰਦ ॥ ਰਹਾਉ ॥ कंठि लाइ अवगुण सभि मेटे दइआल पुरख बखसंद ॥ रहाउ ॥ Kanṯẖ lāe avguṇ sabẖ mete ḏaiāl purakẖ bakẖsanḏ. Rahāo. Hugging me close in His embrace, the merciful, forgiving Lord has erased all my sins. ||Pause||
ਜੋ ਮਾਗਹਿ ਠਾਕੁਰ ਅਪੁਨੇ ਤੇ ਸੋਈ ਸੋਈ ਦੇਵੈ ॥ जो मागहि ठाकुर अपुने ते सोई सोई देवै ॥ Jo māgėh ṯẖākur apune ṯe soī soī ḏevai. Whatever I ask for from my Lord and Master, he gives that to me.
ਨਾਨਕ ਦਾਸੁ ਮੁਖ ਤੇ ਜੋ ਬੋਲੈ ਈਹਾ ਊਹਾ ਸਚੁ ਹੋਵੈ ॥੨॥੧੪॥੪੫॥ नानक दासु मुख ते जो बोलै ईहा ऊहा सचु होवै ॥२॥१४॥४५॥ Nānak ḏās mukẖ ṯe jo bolai īhā ūhā sacẖ hovai. ||2||14||45|| Whatever the Lord's slave Nanak utters with his mouth, proves to be true, here and hereafter. ||2||14||45||
If I had a palace made of pearls, inlaid with jewels,
ਕਸਤੂਰਿਕੁੰਗੂਅਗਰਿਚੰਦਨਿਲੀਪਿਆਵੈਚਾਉ॥
कसतूरकुंगूअगरचंदनलीपआवैचाओ॥
Kasṯūr kungū agar cẖanḏan līp āvai cẖāo.
scented with musk, saffron and sandalwood, a sheer delight to behold -
ਮਤੁਦੇਖਿਭੂਲਾਵੀਸਰੈਤੇਰਾਚਿਤਿਨਆਵੈਨਾਉ॥੧॥
मतदेखभूलावीसरैतेराचितनआवैनाओ॥१॥
Maṯ ḏekẖ bẖūlā vīsrai ṯerā cẖiṯ na āvai nāo. ||1||
seeing this, I might go astray and forget You, and Your Name would not enter into my mind. ||1||
ਹਰਿਬਿਨੁਜੀਉਜਲਿਬਲਿਜਾਉ॥
हरबिनजीओजलबलजाओ॥
Har bin jīo jal bal jāo.
Without the Lord, my soul is scorched and burnt.
ਮੈਆਪਣਾਗੁਰੁਪੂਛਿਦੇਖਿਆਅਵਰੁਨਾਹੀਥਾਉ॥੧॥ਰਹਾਉ॥
मैआपणागुरपूछदेखिआअवरनाहीथाओ॥१॥रहाउ॥
Mai āpṇā gur pūcẖẖ ḏekẖiā avar nāhī thāo. ||1|| rahāo.
I consulted my Guru, and now I see that there is no other place at all. ||1||Pause||
ਧਰਤੀਤਹੀਰੇਲਾਲਜੜਤੀਪਲਘਿਲਾਲਜੜਾਉ॥
धरतीताहीरेलालजड़तीपलंगलालजड़ाओ॥
Ḏẖarṯī ṯa hīre lāl jaṛṯī palagẖ lāl jaṛāo.
If the floor of this palace was a mosaic of diamonds and rubies, and if my bed was encased with rubies,
ਮੋਹਣੀਮੁਖਿਮਣੀਸੋਹੈਕਰੇਰੰਗਿਪਸਾਉ॥
मोहणीमुखमणीसोहैकरेरंगपसाओ॥
Mohṇī mukẖ maṇī sohai kare rang pasāo.
and if heavenly beauties, their faces adorned with emeralds, tried to entice me with sensual gestures of love -
ਮਤੁਦੇਖਿਭੂਲਾਵੀਸਰੈਤੇਰਾਚਿਤਿਨਆਵੈਨਾਉ॥੨॥
मतदेखभूलावीसरैतेराचितनआवैनाओ॥२॥
Maṯ ḏekẖ bẖūlā vīsrai ṯerā cẖiṯ na āvai nāo. ||2||
seeing these, I might go astray and forget You, and Your Name would not enter into my mind. ||2||
ਸਿਧੁਹੋਵਾਸਿਧਿਲਾਈਰਿਧਿਆਖਾਆਉ॥
सिधहोवासिधलाईरिधआखाआओ॥
Siḏẖ hovā siḏẖ lāī riḏẖ ākẖā āo.
If I were to become a Siddha, and work miracles, summon wealth
ਗੁਪਤੁਪਰਗਟੁਹੋਇਬੈਸਾਲੋਕੁਰਾਖੈਭਾਉ॥
गुपतपरगटहोएबैसालोकराखैभाओ॥
Gupaṯ pargat hoe baisā lok rākẖai bẖāo.
and become invisible and visible at will, so that people would hold me in awe -
ਮਤੁਦੇਖਿਭੂਲਾਵੀਸਰੈਤੇਰਾਚਿਤਿਨਆਵੈਨਾਉ॥੩॥
मतदेखभूलावीसरैतेराचितनआवैनाओ॥३॥
Maṯ ḏekẖ bẖūlā vīsrai ṯerā cẖiṯ na āvai nāo. ||3||
seeing these, I might go astray and forget You, and Your Name would not enter into my mind. ||3||
ਸੁਲਤਾਨੁਹੋਵਾਮੇਲਿਲਸਕਰਤਖਤਿਰਾਖਾਪਾਉ॥
सुलतानहोवामेललसकरतखतराखापाओ॥
Sulṯān hovā mel laskar ṯakẖaṯ rākẖā pāo.
If I were to become an emperor and raise a huge army, and sit on a throne,
ਹੁਕਮੁਹਾਸਲੁਕਰੀਬੈਠਾਨਾਨਕਾਸਭਵਾਉ॥
हुकमहासलकरीबैठानानकासभवाओ॥
Hukam hāsal karī baiṯẖā nānkā sabẖ vāo.
issuing commands and collecting taxes-O Nanak, all of this could pass away like a puff of wind.
ਮਤੁਦੇਖਿਭੂਲਾਵੀਸਰੈਤੇਰਾਚਿਤਿਨਆਵੈਨਾਉ॥੪॥੧॥
मतदेखभूलावीसरैतेराचितनआवैनाओ॥४॥१॥
Maṯ ḏekẖ bẖūlā vīsrai ṯerā cẖiṯ na āvai nāo. ||4||1||
Seeing these, I might go astray and forget You, and Your Name would not enter into my mind. ||4||1||
Raag Shree is also called Raag Shreerag, Shriraag, Sriraag, Shree, Shri, Sree, or Sri. In Guru Granth Sahib the name of this raag includes the word "raag" so it is called "Raag Sriraag,"
ਸਲੋਕ ਮਃ ੩ ॥
सलोक मः ३ ॥
Salok mėhlā 3.
Shalok, Third Mehl:
ਜਗਤੁ ਜਲੰਦਾ ਰਖਿ ਲੈ ਆਪਣੀ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰਿ ॥
जगत जलंदा रख लै आपणी किरपा धार ॥
Jagaṯ jalanḏā rakẖ lai āpṇī kirpā ḏẖār.
The world is going up in flames - shower it with Your Mercy, and save it!
ਜਿਤੁ ਦੁਆਰੈ ਉਬਰੈ ਤਿਤੈ ਲੈਹੁ ਉਬਾਰਿ ॥
जित दुआरै उबरै तितै लैह उबार ॥
Jiṯ ḏuārai ubrai ṯiṯai laihu ubār.
Save it, and deliver it, by whatever method it takes.
ਸਤਿਗੁਰਿ ਸੁਖੁ ਵੇਖਾਲਿਆ ਸਚਾ ਸਬਦੁ ਬੀਚਾਰਿ ॥
सतिगुर सुख वेखालिआ सचा सबद बीचार ॥
Saṯgur sukẖ vekẖāliā sacẖā sabaḏ bīcẖār.
The True Guru has shown the way to peace, contemplating the True Word of the Shabad.
ਨਾਨਕ ਅਵਰੁ ਨ ਸੁਝਈ ਹਰਿ ਬਿਨੁ ਬਖਸਣਹਾਰੁ ॥੧॥
नानक अवर न सुझई हर बिन बखसणहार ॥१॥
Nānak avar na sujẖī har bin bakẖsaṇhār. ||1||
Nanak knows no other than the Lord, the Forgiving Lord. ||1||
Punjabi/Hindi/English Lyrics and English/Punjabi Translations below:
जैसा बीजै सो लुणे जो खटे सो खाऎ ॥
अगै पुछ न होवई जे सण नीसाणै जाऎ ॥२॥
तैसो जैसा काढीऐ जैसी कार कमाऎ ॥
जो दम चिति न आवई सो दम बिरथा जाऎ ॥३॥
इहो तन वेची बै करी जे को लए विकाऎ ॥
नानक कम न आवई जित तन नाही सचा नाओ ॥४॥५॥७॥
Shabad in English
Jogī hovai jogvai bẖogī hovai kẖāe.
Ŧapī▫ā hovai ṯap kare ṯirath mal mal nāe. ||1||
Ŧerā saḏṛā suṇījai bẖāī je ko bahai alāe. ||1|| rahā▫o.
Jaisā bījai so luṇe jo kẖate so kẖāe.
Agai pucẖẖ na hovaī je saṇ nīsāṇai jāe. ||2||
Ŧaiso jaisā kādẖīai jaisī kār kamāe.
Jo ḏam cẖiṯ na āvī so ḏam birthā jāe. ||3||
Eh ṯan vecẖī bai karī je ko lae vikāe.
Nānak kamm na āvaī jiṯ ṯan nāhī sacẖā nāo. ||4||5||7||
Translation by Dr. Sant Singh Khalsa
The Yogi practices yoga, and the pleasure-seeker practices eating.
The austere practice austerities, bathing and rubbing themselves at sacred shrines of pilgrimage. ||1||
Let me hear some news of You, O Beloved; if only someone would come and sit with me, and tell me. ||1||Pause||
As one plants, so does he harvest; whatever he earns, he eats.
In the world hereafter, his account is not called for, if he goes with the insignia of the Lord. ||2||
According to the actions the mortal commits, so is he proclaimed.
And that breath which is drawn without thinking of the Lord, that breath goes in vain. ||3||
I would sell this body, if someone would only purchase it.
O Nanak, that body is of no use at all, if it does not enshrine the Name of the True Lord. ||4||5||7||
Thanks to Abhijit Chakraborty, Harry Anand, and Jania Kapoor for their invaluable contributions on this project.
This is an ongoing attempt to heal through music ... Music and Oneness abounds despite the Covid-19 pandemic. While I am busy during the week starting a new venture, I am spending some time recording some simple tracks while we are quarantined in California. This album will be my humble attempt to make love proximate, even as we are all physically distant due to the concerns of spreading of the virus. I believe this album will provide strength, peace and joy at a time when grief, fear and uncertainty has gripped the world. The making of the album will be public and I encourage musicians, singers, and novices to contribute if they want to this project ... or just listen, play and/or sing along for fun!
This shabad is about Guru Harkrishan, the eighth Guru. The lyrics were written mostly by Guru Gobind Singh:
Pritham Bhagauti Simar Kai Gur Nanak Layi Dhiyaye
Phir Angad Gur Te Amardas Raamdaas-ai Hoyi Sahaye
Arjan Hargobind Nu Simro Shri Har Rai Shri Harkrishan Dhiyayiyeh Jis Dithai Sab Dukh Jaye
Tegh Bahadur Simariyeh Ghar Nau Nidh Avai Dhaye
Sab Thaayi Hoye Sahaye
Shri Harkrishan Dhiyayiyeh Jis Dithai Sab Dukh Jaye
I remember Shri Harkrishan envisioning whom all pain vanishes
Interesting that Guru Gobind uses the “Shri” suffix, which is used to respect the elders, the gurus and the avatars of God, as in Shri Raam and Shri Krishna. It is clear how respected Guru Harkrishan was a short time after his departure.
When Guru Har Rai, the 7th Guru in the lineage of Guru Nanak, passed away on 20 October 1661, he chose Shri Harkrishan, the younger of his two sons to be the next Guru. At this time Shri Harkrishan was merely 5 years old. While he was young in years, he was mature in wisdom. Bhai Santokh Singh writes, "The early morning sun looks small in size, but its light is everywhere. So was Guru Harkrishan' s fame, without limit."
Shri Harkrishan was very popular in northwest India -- so much so that the Mughal Emperor Aurangzeb wanted to meet him. Aurangzeb was notorious and would have not been able to access to Shri Harkrishan were it not for Mirza Raja Jai Singh, a Rajput king from Amer, Rajasthan who held the followers of Guru Nanak in very high esteem. He convinced Shri Harkrishan to visit Aurangzeb in Delhi and he was invited to live as a guest in the bungalow in 1663.
During Shri Harkrishan's visit there was an ongoing epidemic of cholera and smallpox and seven year old Shri Harkrishan boldly decided to serve the community. While the rulers of his time were hiding in palaces, Guru Harkrishan went from community to community, house to house, and connected with them. He used his resources to help the community with aid and highly sought clean water from the well at Raja Jai Singh's bungalow. The Hindus called him "Bal Guru" and the muslims called him "Bala Peer" ... the child guru. He served the community of Delhi no matter what their religion or social status was. It is said that anyone he met was overwhelmed with reverence, and a calming sense of peace. It became well known that whoever met Shri Harkrishan was relieved of suffering. He served the community until he himself succumbed to small pox infection.
Where he was cremated now stands Gurudwara Bala Sahib; I have a fond memory of walking to Bala Sahib with my grandfather when I was very young. In place of Raja Jai Singh's bungalow where Shri Harkrishan lived now stands the Gurudwara Bangla Sahib, one of the most prominent Sikh house of worship. It was first built as a small shrine by Sikh General Sardar Baghel Singh in 1783 during the reign of Mughal Emperor, Shah Alam II.
Millions of people visit Bangla Sahib every year and thousands get free food every day. The water from the well of the well is considered holy. The bed where he used to sleep is found within the premises of the Gurdwara. When I recently visited Delhi, I drank some water from the well and had langar sitting next to a local laborer who told me that he often eats here. Even when most of Delhi is closed during the COVID-19 pandemic, the homeless are being fed outside Bangla Sahib.
Guru Harkrishan's boldness and his kindness at such a young age remains exemplary in the history of humankind. He lost his life early, but he won the hearts of people forever, gained the respect of generations to come, and continues to inspire us with his courage and generosity. It is no surprise that his legacy lives on.